Tuesday, October 1, 2013

चिठ्ठी

असमंजस में हूँ आज
बड़े दिनो बाद एक खत आया है
नाम पता तो मेरा ही है
पर जिसके लिए यह खत है
वो अब नहीं रहता यहाँ पर
कुछ 5 साल पहले एक पीपल के पेड़ के नीचे
वो किसी का इंतज़ार करता रहा कई पहर
नहीं लौटा फिर कभी वो
अगर यह चिठ्ठी 5 साल पहले गयी होती
तो एक  हस्ती मिट्टी में ना मिलती
और शिकयात ना होती उसे
जो उस दिन ना पाई
करती भी तो क्या
बेड़िया सोने की थी
और सलाखें लाज की|