दिलों के जुड़ने
के दस्तूर बदल
गये
बदते जमाने में दिल
मिलने तरीके बदल
गये
कहाँ होता था
हाले दिल का
बयान नज़रोन से
वो इज़हारे बयान अब
ज़ुबान से नही
apps से होते है
पहले दिल मिलते
थे बाज़ारो में
मेलों में
झुकती उठती नज़रें
थे पैमाने आशिकी
के
दो शब्दो में लब
थरतरे थे और
दिल ढोल जाता
था
अब तो बस
इंतज़ार होता है
Like और Share का
Chat पर इज़हार
और इनकार होता
है
Smiley से भरे
शब्दो पर ऐतबार
होता है
ना आवाज़ की गहराई
का कोई तवाजुब
है
लंबी साँसों में कोई
तकालूफ है
बदलते जामाने के बदलते
दस्तूर है
या कहे की
नया फितूर है!
badlte jamane ka dasttor ya kahe ka naya fitur ..kya likha hai bhai ...mast
ReplyDeleteThanks Prashant :)
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