असमंजस में हूँ
आज
बड़े दिनो बाद
एक खत आया
है
नाम पता तो
मेरा ही है
पर जिसके लिए यह
खत है
वो अब नहीं
रहता यहाँ पर
कुछ 5 साल पहले
एक पीपल के
पेड़ के नीचे
वो किसी का
इंतज़ार करता रहा
कई पहर
नहीं लौटा फिर
कभी वो
अगर यह चिठ्ठी
5 साल पहले आ
गयी होती
तो एक
हस्ती मिट्टी में ना
मिलती
और शिकयात ना होती
उसे
जो उस दिन
आ ना पाई
करती भी तो
क्या
बेड़िया सोने की
थी
और सलाखें लाज की|